ताज़ा खबर

करंट लगने से गर्भवती हथिनी की मौत

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में बुधवार को करंट लगने से फिर एक गर्भवती हथिनी की मौत हो गई. राज्य बनने के बाद से अब तक 60 जंगली हाथी इसी तरह मारे गये हैं.

असल में छत्तीसगढ़ में हाथियों के रहवास वाले जंगलों में लगातार कोयला खनन होने से हाथी लगातार भटक रहे हैं और मारे जा रहे हैं.

ताज़ा मामले में सूरजपुर जिले के दरहोरा जंगल की पहाड़ी पर 11 हजार केवी हाइटेंशन तार के नीचे आने से हथिनी की मौत हो गई. हथिनी गर्भवती थी.

भयावह यह है कि प्रतापपुर के रेंजर ने एक माह पहले ही बिजली विभाग के अफसरों को कम ऊंचाई वाले तार को हटाने या उनकी ऊंचाई बढ़ाने पत्र लिखा था.

लेकिन पिछले कई सालों से बिजली विभाग बजट का हवाला दे कर राज्य भर में ऐसे काम टालता रहा है. यहां भी बिजली विभाग ने यही किया.

राज्य सरकार को नोटिस

भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमाना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने पिछले सप्ताह ही करंट से हाथियों की मौत पर दायर एक जनहित याचिका के बाद छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों को नोटिस जारी किया है.

जानी मानी पर्यावरणविद प्रेरणा सिंह बिंद्रा, मीतू गुप्ता और प्रणव कपिला की याचिका में करंट से हाथियों की मौत पर आवश्यक दिशा-निर्देश का अनुरोध किया गया है.

2014-15 और 2018-19 के बीच मनुष्यों के साथ संघर्ष से संबंधित 510 में से 333 हाथियों की मौत बिजली के करंट के कारण हुई थी. यानी लगभग हाथियों की सभी अप्राकृतिक मौतों में से दो-तिहाई बिजली के झटके के कारण होती हैं.

एक आरटीआई आवेदन के जवाब में केंद्र ने कहा कि 2009 से 2020 तक कुल 741 हाथियों की मौत बिजली के झटके से हुई.

याचिका में मांग की गई है कि एमओईएफएंडसीसी को 2010 की ‘गजाह’ रिपोर्ट की प्रासंगिक सिफारिशों को प्रभावी ढंग से लागू करने और 18 जुलाई 2019 की अपनी 54 वीं बैठक में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति द्वारा स्वीकार किए गए टास्क फोर्स की सिफारिशों के बिंदुओं को लागू करने के निर्देश दिए जाएं.

इसके अलावा प्रतिवादी, केंद्र और राज्यों को तत्काल प्रभाव से संरक्षित क्षेत्रों (वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों, सामुदायिक रिजर्व और संरक्षण रिजर्व), हाथी रिजर्व, पहचाने गए हाथी गलियारे और ज्ञात क्षेत्रों से गुजरने वाली उच्च वोल्टेज बिजली ट्रांसमिशन लाइनों के इन्सुलेशन को शुरू करने के निर्देश दिए जाएं.

याचिका में मांग की गई है कि प्रतिवादियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिए जाए कि संरक्षित क्षेत्रों के भीतर नई विद्युत पारेषण लाइनें बिछाने की अनुमति केवल उन्हीं मामलों में दी जाए जहां बिल्कुल कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है.

इस याचिका में मांग की गई है कि संरक्षित क्षेत्रों के भीतर और आसपास बिजली की बाड़ लगाने के निर्देश (वन विभाग की चौकियों की सुरक्षा के लिए कम वोल्टेज वाली सौर बिजली की बाड़ को छोड़कर) और संरक्षित क्षेत्रों के बाहर नामित हाथी गलियारे को छोड़कर दिए जाए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *